अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद देश की युवा छात्र शक्ति का प्रतिनिधि संगठन है। इसकी स्थापना स्थापना 9 जुलाई 1949 को हुई। तब से अब तक परिषद निरन्तर ऊर्जा सम्पन्न युवाओं को संगठित करने का कार्य किया है। आज यह विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन हैं।
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युवा शक्ति का प्रतिनिधि संगठन;
विद्यार्थी परिषद युवा शक्ति के राष्ट्रवादी स्वर का प्रतिनिधि संगठन है। राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए छात्रों में राष्ट्रवादी चिंतन को जगाना ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का मूल उद्देश्य है। विद्यार्थी परिषद् छात्र-छात्राओं में सकारात्मक देश भक्ति को बढ़ावा देने और राष्ट्रप्रेम का भाव जागृत करने के लिए सतत प्रयत्नशील रहता है।
दलगत राजनीति से परे यह संगठन देश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्र-समुदाय को राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रहित के लिए विभिन्न मुद्दों पर झकझोरती रही है। विगत वर्षों में छात्र हितों के लिए संघर्ष करने वाले संगठनों के बीच विद्यार्थी परिषद् की अपनी एक विशिष्ट पहचान बनी है।
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छात्रशक्ति-राष्ट्रशक्ति का विचार;
1970 के दशक में विद्यार्थी परिषद ने यह मत रखा कि छात्रशक्ति-राष्ट्रशक्ति है।
राष्ट्र के पुनर्निर्माण का उद्देश्य
विद्यार्थी परिषद का मानना है कि पठन-पाठन छात्रों का प्रथम दायित्व है, साथ ही छात्रों को राष्ट्रीय गतिविधियों में भी सक्रीय भागीदारी निभानी चाहिए। छात्रों को अपने अधिकार और कर्त्तव्यों को समझते हुये राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में जब, जहां, जितनी आवश्यकता हो अपना संपूर्ण योगदान देना चाहिए। ऐसा करके ही वो भारत को उन्नति के चरमोत्कर्ष पर ले जाने में सफल होंगे और राष्ट्र का पुनर्निर्माण करने में सफल होंगे।
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परिषद के कार्य
परिषद की विकास यात्रा देश के इतिहास में निश्चित रूप से एक विशेष अध्याय है। संगठन ने देश की युवा छात्र शक्ति के मन में आशा और विश्वास का स्थान प्राप्त किया है।
विद्यार्थी परिषद् का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय पुनर्निर्माण है। अपने स्थापना काल से ही इस संगठन ने छात्र हित और राष्ट्र हित से जुड़े प्रश्नों को प्रमुखता से उठाया है और देशव्यापी आंदोलनों का नेतृत्व किया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने छात्र-हित से लेकर भारत के व्यापक हित से सम्बद्ध समस्याओं की ओर बार-बार ध्यान दिलाया है। बांग्लादेशी अवैध घुसपैठ और कश्मीर से धारा 370 को हटाने के लिए विद्यार्थी परिषद् समय-समय पर आन्दोलन चलाता रहा है। बांग्लादेश को तीन बीघा भूमि देने के विरुद्ध परिषद् ने ऐतिहासिक सत्याग्रह किया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् शिक्षा के व्यवसायीकरण के खिलाफ बार-बार आवाज उठाती रही है। इसके अतिरिक्त अलगाववाद, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण, आतंकवाद और भ्रष्टाचार जैसी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के खिलाफ भी लगातार संघर्ष किया है।
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विद्यार्थी परिषद की संकल्पना
शैक्षणिक परिवार की अवधारणा;
भारत में प्राचीन समय से ही गुरुओं द्वारा अपने छात्रों को प्रेरित करते हुए राष्ट्र के उत्थान एवं रक्षा के लिए प्रेरित करने की परंपरा रही है। चाणक्य के गुरुकुल के छात्रों से लेकर आधुनिक काल तक शिक्षकों ने छात्रों को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया है। विद्यार्थी परिषद इस परंपरा को सांस्कारिक रूप में आगे बढ़ाया है। विद्यार्थी परिषद एकमात्र संगठन है जो शैक्षणिक परिवार की अवधारणा में विश्वास रखता है।
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परिसर संस्कृति;
भारत और भारतीयता से जुड़ाव के कारण विद्यार्थी परिषद ने भारतीय आदर्शों और मूल्यों के व्यवहारिक प्रगटीकरण का प्रयास किया। राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रीय चिन्हों और देश के लिए अपना जीवन न्यौछावर करने वाली महान विभूतियों के प्रति सम्मान से जुड़ा संवाद भी विद्यार्थियों की दिनचर्या में शामिल हो, विद्यार्थी परिषद इस उद्देश्य से नियमित कार्यक्रम का आयोजन करता है।
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वन्देमातरम का सम्मान;
विद्यार्थी परिषद् द्वारा विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में वन्देमातरम के गान जैसे विषयों पर प्रभावी आंदोलन चलाए गए। विद्यार्थी परिषद अपने हर कार्यक्रम में वन्दे मातरम का गान अवश्य करता है। तिरंगे का मान या राष्ट्रगीत का सम्मान आज हमारे परिसर संस्कृति का अंग बन चूका है।
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युवाओं में राष्ट्र प्रेम का भाव जगाना;
युवाओं में राष्ट्र प्रेम का भाव जगाने के उद्देश्य से विद्यार्थी परिषद उनके समक्ष मातृभूमि के मान और शहीदों के जय गान का कार्य करता है। नेता जी सुभाषचंद्र बोस जन्म शताब्दी (1997) के अवसर पर समारोह पूर्वक कार्यक्रम आयोजित किये गए। 1997, 6 अगस्त, क्रांति दिवस पर स्वाधीनता शहीद स्मृति यात्रा का आयोजन किया गया. इस यात्रा क्रम में 80 शहीद स्थलों पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। यात्रा का समापन 14 अगस्त को चौरी चौरा शहीद स्थल पर हुआ। 1857 की 150 वीं वर्षगांठ के अवसर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। विशेष कार्यक्रमों में दीप प्रज्वलन, सामूहिक बंदेमातरम का गान आदि के कार्यक्रम प्रदेश के सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में आयोजित किये गए। इसी तरह स्वामी विवेकानंद का सार्धशती के अवसर पर विद्यार्थी परिषद द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए।
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‘देश के लिए जिओ’ का आह्वान;
आज के युवाओं में देशभक्ति की भावना को प्रखर करने के उद्देश्य से विद्यार्थी परिषद् ने ‘देश के लिए जिओ’ का आह्वान किया। विद्यार्थी परिषद ने युवाओं को भारत के गौरवशाली इतिहास और संस्कृत की जानकारी देने के लिए राष्ट्र गौरव पुस्तक का प्रकाशन कर, उसे छात्रों तक पहुँचाने का कार्य किया। उत्तर प्रदेश के कुछ विद्यालयों में अनिवार्य रूप से राष्ट्र गौरव परीक्षा आयोजित की जाती है। इसी तरह विगत कई वर्षों से परिषद प्रतिभा सम्मान समारोह के कार्यक्रम आयोजित करता है।
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नवीन परिवर्तनों का वाहक;
परिषद ने न केवल युगीन परिस्थितियों के अनुसार अपने को ढाला है बल्कि नवीन परिवर्तनों को एक नयी दिशा दी है।
सामाजिक समरसता व विद्यार्थी परिषद;
विद्यार्थी परिषद सामाजिक समरसता स्थापित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। परिषद् विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से छात्र-छात्राओं में सामाजिक समरसता, आपसी सौहार्द तथा भाईचारा की भावनाओं को विकसित करने का कार्य करता है। विद्यार्थी परिषद् द्वारा 14 अप्रैल, बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जन्म दिवस पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। परिषद् डॉ. भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि 6 दिसम्बर को सामाजिक समरसता दिवस के रूप में मानती है।
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समस्याओं के समाधान का प्रयास;
विद्यार्थी परिषद् ने सामाजिक समरसता के लिए अनेक आन्दोलन किए हैं। साथ ही अनुसूचित जाति और जनजाति के समस्याओं के समाधान के लिए भी आंदोलन किया है। 2007 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की याचिका पर उच्च न्यायालय द्वारा निजी तकनीकी व्यावसायिक शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया।
शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार के लिए विद्यार्थी परिषद् ने परिषर में प्रभावी परिवर्तन लाने का प्रयास किया। शैक्षिक वातावरण और बेहतर हो और विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शिक्षण कार्यपूरी सुनिश्चित हो, इसके लिए विद्यार्थी परिषद् ने मांग की कि प्रत्येक विश्वविद्यालय में शिक्षण सत्र जुलाई के द्वितीय सप्ताह से आरम्भ हों और परीक्षाएं निर्धारित समय पर सम्पन्न हों तथा परिणाम भी निर्धारित तिथि तक घोषित कर दिये जाएं। परिषद के प्रयासों से विश्वविधालयों के एकेडेमिक कलेंडर जारी किए गए। इससे छात्र-छात्राओं के अनेक समस्याओं का समाधान संभव हो सका है।
परिषद् अपने रचनात्मक कार्यों के आधार पर छात्रों के बीच अपनी जगह बनाती है। विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्र वर्ष पर्यन्त चलने वाले अपने रचनात्मक कार्यों से निरंतर सक्रिय रहते हैं।
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रक्तदान का अभियान;
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के द्वारा प्रत्येक वर्ष 23 जनवरी (सुभाष चन्द्र बोस जन्म जयंती) को रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है। कारगिल संघर्ष के समय भी प्रदेश में रक्तदान कार्यक्रम आयोजित किये गए थे। परिषद का यह प्रयास आज अभियान बन चुका है। विद्यार्थी परिषद् रक्तदान करने वाला सबसे बड़ा संगठन है।
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पर्यावरण संरक्षण का सार्वभौमिक उत्तरदायित्व;
पर्यावरण संरक्षण का कार्य हम सभी के लिए एक सार्वभौमिक उत्तरदायित्व का कार्य है। विद्यार्थी परिषद के छात्र कार्यकर्त्ता विश्व पर्यावरण दिवस व अन्य प्रमुख अवसरों पर पर्यावरण संरक्षण अभियान का कार्य करते हैं। नए वृक्ष लगाने और जो मौजूद हैं उनका ध्यान रखने के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक प्रतिबद्ध आंदोलन तीव्र गति से बढ़ रहा है। परिषद ने परिसर में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जागरूकता पैदा करने में अग्रणी भूमिका का निर्वाह किया है। विद्यार्थी परिषद से प्रेरित होकर आज समाज जीवन में सक्रीय कई संगठन इस तरह के रचनात्मक कार्यों में योगदान दे रहे हैं।
विद्यार्थी परिषद के नाम एक समय में अधिकाधिक वृक्षारोपण करने का सर्वोत्तम रिकार्ड है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना के स्वर्ण जयंती वर्ष, 1999 में देश भर में जून-जुलाई में बृक्षारोपण का कार्य किया गया। इस अवसर पर, 1.5 लाख पौधे लगाये गए।
परिषद ने अपने प्रयास से समाज में जागरूकता पैदा करने का कार्य किया है आज समाज इस दिशा में प्रयासरत है।
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रचनात्मक कार्यों में योगदान;
परिषद् ने युवाओं में रचनात्मक व राष्ट्रवादी सोच विकसित करने का जो संकल्प लिया उसने आज देश की युवाशक्ति का चित्र ही बदल दिया है, यही कारण है कि परिषद् राष्ट्रभक्त, समाजसेवी और संस्कारित युवाशक्ति का प्रतीक बन गया है।
विद्यार्थी परिषद् को आज न केवल भारत का वरन् विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन होने का गौरव प्राप्त है।