Sohaib Ahmed aryan

Sohaib Ahmed

संभावित महासचिव प्रत्याशी, आर्यन छात्र संगठन डी.ए.वी. (पी.जी.) कॉलेज, देहारादून

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डी.ए.वी. कॉलेज की भावी राजनीति का एक चिर परिचित नाम है शोएब अहमद। शोएब आर्यन छात्र संगठन के कार्यकर्ता हैं। पर आज उनकी पहचान केवल आर्यन छात्र संगठन तक सीमित नहीं है। उनका नाम कॉलेज के इमर्जिंग लीडर्स में शुमार है। आत्मविश्वास से भरपूर शोएब अहमद को कॉलेज की उभरती राजनीति के दावेदार के तौर पर मुबारकबाद दी जानी चाहिए।

पारिवारिक और सामाजिक पृष्ठभूमि

शोएब अहमद मूलतः हरीद्वार जिले के रहने वाले हैं। उनका निवास स्थान भगवानपुर (हरीद्वार) है। शोएब एक सामान्य मध्यम परिवार से सम्बद्ध हैं। उनके पिताजी इंतज़ार गौड़ एक उध्यमी हैं। उनका स्वयं का व्यवसाय है। उनकी माताजी शमीमा गौड़ एक सामान्य गृहणी हैं।

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शैक्षिक पृष्ठभूमि

डी.ए.वी. कॉलेज की छात्र राजनीति में एक उभरता हुआ नाम है शोएब अहमद। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल डिफेंस कॉलनी, देहरादून से हुई। इसके उपरांत वह डी.ए.वी. कॉलेज के छात्र बने। शोएब ने 2018 में डी.ए.वी. कॉलेज में प्रवेश लिया। यहाँ से उन्होने बी.कॉम. की पढ़ाई की। वह एल.एल.बी. प्रथम वर्ष के छात्र हैं।

राजनैतिक पृष्ठभूमि

डी.ए.वी. कॉलेज में प्रवेश लेने के बाद शोएब ने पढ़ाई के साथ दूसरी गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया और धीरे धीरे छात्र राजनीति में अपनी पहचान बना ली। यूं तो शोएब अहमद 2017 से ही छात्र राजनीति में सक्रिय हैं।  छात्र राजनीति में अपने सक्रिय होने के निर्णय के विषय में शोएब कहते हैं कि छात्र प्रति दिन किसी न किसी समस्या से उलझते रहते हैं। छात्रों की विभिन्न समस्याओं को देखते हुए वह उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करने लगे और इस तरह वह छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए। आने वाले समय में शोएब छात्रों की आवाज बनना चाहते हैं।

शोएब अहमद को छात्र राजनीति में वास्तविक पहचान आर्यन छात्र संगठन से जुड़ कर मिली। आज शोएब आर्यन छात्र संगठन में सक्रिय हैं और उसी संगठन से महासचिव पद के संभावित प्रत्याशी के रूप में अगले वर्ष के छात्र संघ चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।

शोएब का आज तक का सफर भी इतना नहीं रहा है। यहां तक पहुंचने में भी उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। वह कहते हैं कि मध्यम वर्ग से होने के कारण उन्हें हमेशा असफल होने का भय रहता था। यद्यपि छात्र राजनिति में सफल होने के लिए एक अच्छे सलाहकार की ज़रूरत पड़ती है पर मुझे वह नही मिला। वह कहते हैं कि इसके बावजूद उन्होने हमेशा ही साहस और हिम्मत बनाए रखी।

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शोएब कहते हैं :

"मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है,

पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।"

यह पूछे जाने पर कि छात्र राजनीति में सक्रिय होने की प्रेरणा कहाँ से मिली ? शोएब बेवक अंदाज में कहते हैं - ‘छात्र और युवा हमारे देश की वो रीढ़ की हड्डी है जिस पर हमारे देश का पूरा भविष्य टिका हुआ है, परंतु हर तरफ छात्रों और युवाओं के अधिकारों का हनन हो रहा है, उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश हो रही है, उनके साथ विभिन्न प्रकार का शोषण हो रहा है।  उनके अधिकारों के लिए लड़ना ही मेरे लिए प्रेरणा है’ ... ‘छात्र और युवा ही मेरी राजनैतिक सक्रियता का कारण है’

शोएब अहमद हर समय छात्र राजनीति में सक्रिय रहते हैं। अपनी पिछली उपलब्धियों का जिक्र करते हुए शोएब कहते हैं – ‘मैंने पिछले दिनों कोरोना काल में सभी ज़रूरतमंद लोगों तक फ्री में ऑक्सीजन सिलिंडर पहुंचाने काम किया, छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया, अंकिता भंडारी हत्या कांड के विरोध में आन्दोलन का नेतृत्व किया’ और भी बहुत कुछ है कहने के लिए।

छात्र संघ चुनाव की प्राथमिकता

शोएब मुद्दों की राजनीति में यकीन रखते हैं। छात्र संघ चुनाव भी वह मुद्दों के ऊपर ही लड़ना चाहते हैं। शोएब कहते हैं कि आज कॉलेज में कई समस्याएँ हैं, जिन्हे वह दूर करना चाहेंगे। उनके लिए समस्याओं की लंबी फेहरिस्त है -

महाविद्यालय में अध्यापकों की कमी है, जिसके कारण छात्र सुचारू रूप से पढ़ नहीं पाते हैं, महाविद्यालय के पुस्तकालय में मौजूद सभी पुस्तकें पुरानी हैं। नई शिक्षा नीति के मद्देनज़र पुस्तकालय में नई पुस्तकें होनी चाहिए। वह इन दोनों समस्याओं का शीघ्र समाधान चाहेंगे। शोएब कहते हैं कि कॉलेज के स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट में भी वह सुधार चाहते है। शोएब कहते हैं ... सभी छात्रों को उनके पसंदीदा खेल के प्रशिक्षण का हक है और एक अच्छे खिलाड़ी के भविष्य के लिए उन्हें एक अच्छे एवं अनुभवी प्रशिक्षक की बहुत अधिक आवश्यकता है...वह चाहेंगे कि कॉलेज के खिलाड़ीयों का भविष्य बेहतर बने।

राजनैतिक लक्ष्य

शोएब कहते हैं कि निकट भविष्य में मेरा लक्ष्य छात्र संघ में महा सचिव पद पर निर्वाचित होना रहेगा फिर उसके बाद मैं सक्रिय राजनीति को अपना कैरियर बनाना चाहता हूँ।

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पिछले चुनावों के नतीजे को दरकिनार कर शोएब अहमद कहते हैं :

"वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से,

वो और थे जो हार गए आसमान से।"

इसी के साथ शोएब अहमद कहते हैं :

"अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला,

जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा।"

अपनी सोंच को स्पष्ट करते हुए शोएब कहते हैं ‘मेरा मानना है कि यदि तुम एक अच्छे समाज की कल्पना करते हो, तो उस समाज में अपनी एक अच्छी भागीदारी भी करो, और आज के इस युग में तुम राजनिति करो या ना करो परंतु राजनिति पर नजर जरूर रखो। इससे समाज में ब्याप्त समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और सही गलत की समझ बनेगी’। ‘भविष्य में मैं एक अच्छा राजनेता बनाना चाहता हूँ’

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