satyam shivam sangathan

सत्यम शिवम् छात्र संगठन

सत्यम शिवम छात्र संगठन (सत्यम शिवम ग्रुप)

सत्यम शिवम छात्र संगठन (सत्यम शिवम ग्रुप) उत्तराखंड के देहारादून में सक्रिय एक स्वतंत्र छात्र संगठन है। देहारादून की छात्र राजनीति में सत्यम शिवम छात्र संगठन की अपनी पहचान है।

इतिहास, विचार और उद्देश्य

यह छात्र संगठन किसी विशेष राजनैतिक दल से सम्बद्ध है और नहीं यह किसी स्थापित विचारधारा के अनुरूप या वैचारिक आधार पर गठित हुई है। इस तरह यह स्वतंत्र चिंतन करने वाले (दल गत राजनीति से अलग रहने वाले) छात्रों का संगठन बन कर उभरा है। मिल कर साथ चुनाव लड़ने के उद्देश्य से कुछ छात्र नेताओं ने इस संगठन की स्थापना की और फिर अपना विस्तार करना शुरू कर दिया। छात्र संघ चुनाव में मिली सफलता ने इन्हें कॉलेज की छात्र राजनीति में स्थापित कर दिया है। पिछले कुछ समय से इस संगठन का दबदबा प्रदेश के सबसे बड़े डिग्री कॉलेज डी.ए.वी. कॉलेज देहारादून में कायम है। इस संगठन के कार्यकर्ता डी.ए.वी. कॉलेज के छात्र संघ चुनाव में सचिव पद पर लगातार जीतते आ रहे हैं।

एक व्यक्ति के चुनाव जीतने और उसकी प्रसिद्धि से यह ग्रुप (सत्यम शिवम ग्रुप) बना। अगले वर्ष कुछ छात्र नेताओं ने अपने समर्थन से अन्य छात्र नेताओं को चुनाव लड़वाया, उस चुनाव में भी उन्हे अपेक्षित सफलता मिली। इस प्रयोग से उत्साहित छात्र नेताओं ने स्थायी संगठन बना लिया और हर बार उस प्रयोग को दुहराने लगे। ऐसे में एक नया समूह (ग्रुप) स्थापित हो गया। मिल कर लड़ने और सघर्ष में सबको साथ लेकर चलने की आवश्यकता के कारण इन्हें संगठन बनाने की जरूरत पड़ी। और यह इस संगठन की निरंतरता में सहायक सिद्ध हुआ। जावेद खान, शिवेष बहुगुणा, कपिल शर्मा, नरेंद्र शर्मा  आदि इस संगठन से जुड़े बड़े नाम हैं। इन सब ने संगठन को एक दिशा और गति दी है।

यद्यपि यह एक वैकल्पिक राजनैतिक संगठन के रूप में विकसित हुआ, परंतु छात्रों के सत्ता विरोधी चरित्र का प्रतिनिधित्व करने के कारण कभी कभी इनकी वैचारिक निकटता कुछ विशेष राजनैतिक दलों के साथ देखी जा सकती है। 

छात्र हित और छात्र राजनीति

छात्र राजनीति के साथ साथ सत्यम शिवम छात्र संगठन (सत्यम शिवम ग्रुप)  के पूर्व कार्यकर्ता अपनी राजनैतिक जमीन मजबूत करने में भी लगे हैं। साथ ही इस ग्रुप  को संगठन के रुप में मजबूत बनाने में लगे हैं। उनके सामने चैलेंज है संगठन को एकजुट रखना और एक विश्वसनीय छात्र संगठन के रुप में खुद को स्थापित करना।

शिक्षा सत्र के प्रारम्भ होने के साथ ही संगठन के छात्र नेता (कार्यकर्ता) कॉलेज में अपनी सक्रियता बढ़ा देते हैं। एड्मिशन के लिए आए आगंतुक छात्रों की मदद के साथ ही वे अपनी सदस्यता बढ़ाने के काम में लग जाते हैं। और फिर शुरू होती है चुनावी राजनीति। अधिकाधिक छात्रों से संपर्क और सहयोग इनकी लोकप्रियता और चुनावी संघर्ष में सफलता का कारक होता है।

सत्यम शिवम छात्र संगठन (सत्यम शिवम ग्रुप)  के एक वरिष्ठ छात्र नेता और डी.ए.वी. कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ के महासचिव ने कहा कि उनका संगठन छात्रों की समस्याओं को लेकर हर समय चिंतित रहता है। कोरोना काल में संगठन ने गरीब एवं असहाय छात्रों की मदद की। कोरोना काल के बाद कॉलेज खुलने पर एक बार फिर से संगठन छात्र हित में व्यस्त हो चुका है। 2022 में भी संगठन के युवा छात्र नेता मनमोहन ने महासचिव पद पर दावेदारी की और छात्र संघ चुनाव में अपनी और अपने संगठन के लिए जीत दर्ज की।

समय समय पर छात्रों के हित से जुड़े विषयों पर इस संगठन के छात्र आंदोलित होते रहते हैं और अपनी मांगों को माने जाने तक लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन भी करते हैं। कभी कभी व्यापक समाज हित से जुड़े विषयों पर इन छात्रों का आक्रोश सड़कों पर भी देखने को मिलता है। पिछले दिनों महिला सुरक्षा और युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी के विषय (और उस पर सरकार के दमनकारी रवैये) ने इन छात्र नेताओं को अपना विरोध प्रदर्शन के लिए आंदोलित किया है।

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